क्यों निकलता है शरीर से पसीना 
Kyo nikalta hai shareer se pasina



शरीर से पसीना निकलने पर दिनभर में दस से तीस ग्राम तक नमक निकल जाता है जबकि हमारे शरीर में नमक की मात्रा 165 ग्राम होती है ऊपर से पानी पी लेने पर शरीर में नमक और भी पतला हो जाता है। अतः प्यास बुझाते समय कुछ ना कुछ नमक की मात्रा अवश्य लें।

शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए, शीतल बनाने के लिए यह प्रकृति का तरीका अनूठा और अनमोल है। पसीना निकलने की क्रिया वास्तव में वाष्पीकरण का फल है। वाष्पीकरण के लिए शरीर की गर्मी का इस्तेमाल किया जाता है। असल में पसीने निकलने से शरीर का तापमान गिरता है। स्तनधारी प्राणियों में दो तरह की ग्रांथियां पाई जाती है।

• एकाइन 

• एपोक्राइन

व्यक्ति में कुछ खास जगहों पर एपोक्राइन ग्रंथि होती है तो बाकी शरीर की त्वचा में एक्राइन स्वेद ग्रंथियां होती हैं। गर्मी से जो पसीना निकलता है वह एकाइन स्वेद ग्रंथि की देन है। हां कुछ स्तनधारियों में सिर्फ एपोक्राइन स्वेद ग्रंथि ही होती है।

स्वेदग्रंथि (उलझे हुए धागे सी) एक लंबी नली से त्वचा की ऊपरी सतह पर बने छिद्रों में खुलती है, इसमें से जो पसीना निकलता है वह गंधमय होता है जबकि डर के मारे निकलने वाले पसीने में गंध नहीं होती। इस सूक्ष्म ग्रंथि के अध्ययन से देह की कुछ गुत्थियां सुलझी है तो कुछ गुत्थियां अनसुलझी रह गई है। आखिर इन स्वेद ग्रंथियों को कौन प्रेरित करता है जो ये पत्ती के लवणमय स्त्राव को शरीर से निकालने के लिए बाध्य हो जाती है। 

अलग-अलग तरीके से गर्मी में ठंडक पहुंचाने के लिए पसीना बहाने के अनेक तरीक हैं, जैसे किसान खेतों में हल जोत कर। परंतु यह भी पसीने निकालने का अनमोल तरीका है। पर इस क्रिया में शरीर का काफी मात्रा में पानी तथा नमक जाता है पानी की तो पूर्ति हम पानी पीकर कर लेते हैं परंतु ऐसे में नमक की पूर्ति नहीं हो पाती जिससे हमारे घुटनों में ऐंठन शुरू हो जाती है जो धीरे-धीरे भयानक हो जाती है। अतः हमें गर्मियों में नमक उचित मात्रा में लेना चाहिए।