क्यों होता है हमारा एक पैर दूसरे से बड़ा 
Kyo hota ha Hama ek pair dusre se bada



यदि तुम दोनो पैरों को ध्यान से नापे तो दायां पैर बाएं पैर की अपेक्षा कुछ बड़ा दिखेगा। शरीर की बनावट की असमानता का हमारे ऊपर बहुत से प्रभाव पड़ते हैं।

आंखों पर पट्टी बांधकर हम सीधी दिशा में न चलकर एक गोल चम्कर में इसी असमानता के कारण चलने लगते हैं। यह बात जानवरों में भी हैं। उनके शारीरिक ढांचों का निर्माण भी पूर्ण संतुलन में नहीं होता।

यद्यपि हमारे शरीर के दाहिने और बाएं भाग मोटे रूप से देखने पर एक से दिखते हैं परंतु गौर से देखने में उनमें थोड़ा सा अंतर अवश्य है। हमारे शरीर की रचना पूर्णरूपेण दोनों ओर समान नहीं है बल्कि दाएं और बांए भागों में थोड़ी सी असमानता है। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि हमारे चेहरे का दायां भाग बाएं भाग से कुछ अधिक विकसित है। दाईं टांग की लंबाई बाई टांग से अधिक है। हमारा हृदय बाई ओर स्थित है जबकि लिवर दाहिनी ओर स्थित है। शरीर की आंतरिक संरचना पूर्ण संतुलन में नहीं है। यही कारण है कि हमारी हड्डियों का विकास भी थोड़ा सा असमान रूप में हुआ है। इसी असमान विकास के कारण हमारा दायां पैर बाएं पैर से कुछ अधिक लंबा है।

अब प्रश्न उठता है कि हमारे शरीर के दाएं अंगो का ही विकास अधिक क्यों होता है? इस प्रश्न का पूर्ण समाधान तो अभी तक नहीं हो पाया है लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का विचार है कि संसार में अधिकतर लोग दाएं अंगों से ही अधिक काम लेते है। इसलिए बाएं अंगों की अपेक्षा दाएं अंगों का विकास अधिक होता है। संसार में 96 प्रतिशत लोग सीधे हाथ से बाएं हाथ की अपेक्षा अधिक काम लेते हैं और शेष 4 प्रतिशत बाएं हाथ से अधिक काम लेते हैं। दाएं हाथ या बाएं हाथ से काम लेना हमारे मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होता है। मस्तिष्क का बायां भाग हमारे शरीर के दाहिने अंगों पर नियंत्रण करता है। संसार में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है। दाएं अंगों से अधिक काम लेने से ही उनका विकास बाएं अंगों की तुलना में अधिक हो जाता है।