क्यों नहीं फंसती मकड़ी अपने जाल में 
Kyo Nahi fasti Makdi apne Jaal mein



बड़े ही आश्चर्य की बात है कि मकड़ी द्वारा बनाए गए जाल में मकड़ी कभी नहीं फंसती। वह बड़ी फुर्ती के साथ जाल बनाकर घूमती रहती है इसका कारण है उसके पैरों में तेल का होना। इसके पैरों में तेल पैदा होता रहता है जो इन चिपचिपे भागों में उसे फंसने नहीं देता और वह आनंद के साथ इधर-उधर घूमती रहती है। असल में मकडी अपना जाला कई तरह से बनाती है इसमें इसके द्वारा बनाए गए जालों में कुछ जाल पहिये के आकार के होते है तो कुछ अष्टभुजाकर। हां, शिकार इन्हीं धागों में आकर फंसता है।

मकड़ी का जाला तो आश्चर्यजनक है ही परंतु इससे आश्चर्यजनक है खुद मकड़ी। मकड़ी एक ऐसा जीव है जो हर मौसम में हवा, पानी, जमीन और जमीन के ऊपर हर जगह मिलती है। इसका आकार एक छोटे से बिंदु से लेकर करीब सात सेंटीमीटर तक होता है। टार्नटूलो नाम की मकड़ी तो चिड़िया तक को खा जाती है और कुछ मकड़ियां तो ऐसी भी पाई जाती हैं जो एक साल तक बिना पानी के जीवित रह सकती हैं। इनकी उम्र करीब एक साल होती है। हां मकड़ी जिन पदार्थों से जाला बनाती हैं उनका निर्माण उसके पेट की ग्रंथि से होता है। इसके पेट की नौंक पर एक छोटे से छेद में एक विशेष प्रकार का द्रव भरा होता है तथा तारे के रूप में बाहर आता है और हवा के संपर्क में आते ही यह द्रव ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है ये धागे भी कई तरह के होते हैं कुछ धागे चिपचिपे होते है और कुछ धागे मुलायम। चिपचिपा धागा शिकार फंसाने के काम आता है और मुलायम धागा मकड़ी के चलने के लिए। परंतु यह संबंध अन्य प्राणी नहीं समझ पाएगा।