शरीर से सांस लेने पर क्या होता है
Shareer se ssans lene par kya hota hai
सभी प्राणी जीवित रहने के लिए सांस लेते हैं। मनुष्य, पशु, पक्षी, कीडे-मकोडे और यहां तक की पेड़-पौधे आक्सीजन प्राप्त करने के लिए सांस लेते
हैं। अलग-अलग जीवों में सांस लेने का तरीका अलग-अलग होता है। कुछ प्राणी नाक द्वार
सांस लेते हैं। कुछ त्वचा सांस लेते हैं। जैसे केंचुआ त्वचा द्वारा सांस लेता है।
कभी-कभी मेंढक भी त्वचा द्वारा सांस लेता है।
सभी मनुष्य नाक या मुंह द्वारा वायु को शरीर के अंदर
ले जाते हैं। यह वायु श्वास नलिका से होती हुई फेफड़ों में चली जाती है। हमारे
शरीर के दो फेफड़ें होते हैं, जो छाती के बाई और दाईं ओर होते
हैं। फेफड़े ऊतकों से बने एक प्रकार के कोमल थैले हैं। प्रत्येक फेफड़ों में लाखों
छोटी-छोटी थैलियां होती हैं, जिनमें सांस द्वारा ली गई हवा भर
जाती है। जब हम सांस लेते हैं तो फेफड़े फूल जाते हैं और सांस बाहर निकालने पर
फेफड़े सिकुड़ जाते हैं।
सांस द्वारा ली गई ऑक्सीजन रक्त द्वारा सारे शरीर में
पहुंचती है। इसी आक्सीजन के द्वारा भोजन के पदार्थ आक्सीकृत होते हैं। आक्सीकरण की
क्रिया के फलस्वरूप कार्बन डाइ ऑक्साइड पानी और दूसरे पदार्थ पैदा होते हैं। सांस
निकालते समय यही कार्बनडाइआक्साइड और जलवाष्प बाहर निकलती है।
आक्सीकरण की क्रिया द्वारा ही ऊष्मा और दूसरी ऊर्जा
पैदा होती हैं। इसी ऊर्जा द्वारा हम काम करते हैं। ऊष्मा ऊर्जा के कारण हमारे शरीर
का तापमान स्थिर रहता हैं। आक्सीकरण में पैदा होने वाली ऊर्जा से ही सारे दिन
मांसपेशियां काम करती रहती हैं। जब हम व्यायाम या कोई और कठिन कार्य करते हैं तो
हमें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अधिक ऊर्जा पैदा करने के लिए हमें अधिक
आक्सीजन की आवश्यकता होती हैं। यही कारण है कि व्यायाम या कठिन कार्य करते समय हम
अधिक आक्सीजन प्राप्त करने के लिए तेजी से सांस लेते हैं
सामान्य रूप से नवजात बच्चा एक मिनट में 60 बार सांस
लेता है। 15 गल का बच्चा एक मिनट में 20 बार और जवान व्यक्ति एक मिनट में 18 सांस
लेता हैं। जवान व्यक्तियों के सांस लेने की गति वृद्ध लोगों की अपेक्षा अधिक होती
है। शारीरिक क्रिया उम्र, रोग और भावुकता की स्थितियों के
अनुसार सांस लेने की दर कम या अधिक होती रहती है। सांस लेने की क्रिया ऐच्छिक और
अनैच्छिक दोनों ही तरीकों से होती है। हम अपनी इच्छा से कुछ क्षणों के लिए सांस
रोक भी सकते है। सांस लेने की क्रिया हमारे जागने और सोने की अवस्था में लगातार
होती रहती है।
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