मामा जी से कुशलता पूछते हुए पत्र लिखिए। 

चाँदनी चौक, दिल्ली 

11-11-20... 

पूज्य मामा जी 

सादर प्रणाम 

लगभग दो महीनों से आपका कोई समाचार नहीं मिला। इसलिए चिंता हो रही है। आशा है, आप मुझे भूले नहीं हैं। आपके सिवा अब इस संसार में मेरा है कौन? आपने जिस उद्देश्य से मुझे हजारों मील दूर यहाँ भेजा है। उसकी पूर्ति में मैं जी-तोड़ परिश्रम कर रहा हूँ। आपने चलते समय कहा था-'उदय, तुमसे मैं अधिक आशा रखता हूँ। ये शब्द अभी तक मेरे कानों में गूंज रहे हैं। मेरा अध्ययन सुचारु रूप से चल रहा है। यहाँ और काम ही क्या है? इस शहर में आकर्षण की कमी नहीं है, पर मुझे अपनी धुन के सामने उसका कोई मूल्य नहीं दिखता। टेस्ट का परीक्षाफल कल ही सुनाया गया है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने इसमें सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया है। अब विश्वविद्यालय की परीक्षा के दो महीने रह गए हैं। लगभग पंद्रह दिनों के बाद परीक्षा-शुल्क जमा करना होगा। 

इस समय कुछ काम की पुस्तकें खरीदना भी आवश्यक है ताकि अंतिम परीक्षा में भी मैं अपना स्थान बना सकूँ और आपकी आशा पूरी हो सके। इन सब में लगभग डेढ़ सौ रुपये खर्च होंगे। अतः लौटती डाक से कृपया रुपये भेज देने की व्यवस्था करें। शेष, कुशल है। आपका आशीर्वाद मेरा एकमात्र संबल है। 

आपका स्नेहाकांक्षी 

उदयकुमार सिन्हा

पत्र पाने वाले का नाम व पता

शैलेंद्र मोहन 

एस-50, रामनगर, शाहदरा

दिल्ली-110032 15.