अपने मित्र को पत्र लिखकर बताइए कि पान-मसाला, गुटका तथा अन्य खुशबूदार पदार्थ किस प्रकार व्यक्ति को हानि पहुंचा सकते हैं। 


परीक्षा भवन 

नई दिल्ली 

दिनांक : ......  

प्रिय भावेश 

सप्रेम नमस्कार 

बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया तथा न ही कोई अन्य सूचना मिली। इसीलिए मैंने तुम्हारे बड़े भाई राहुल से टेलीफोन पर तुम्हारे विषय में पूछताछ की। उन्होंने बताया कि आजकल तुम मित्र-मंडली में मस्त रहते हो तथा माता-पिता की भी खोज-खबर नहीं लेते। 

एक अन्य आश्चर्यजनक बात जो उन्होंने तुम्हारे बारे में सुनाई कि तुमने पान-पूराग तथा चुटकी खाना शुरू कर दिया है। पहले तो मैंने इसे एक मजाक समझा। लेकिन उन्होंने गंभीर तथा चिंतित होकर इस व्यसन से दूर रहने के लिए मुझे तुमसे पूरामर्श देने के लिए कहा तो मुझे विश्वास करना ही पड़ा। 

मित्र तुम नहीं जानते कि तुमने कितना खतरनाक शौक एवं रोग पाल लिया है। आधुनिक चुकाचौंध तथा तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले युवकों में खुशबूदार मसाले, सुपारी तथा चुटकी आदि खाने का शौक दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसके साथ ही उनमें जीभ, गाल तथा गले के कैंसर होने की संभावनाएँ भी बढ़ती जा रही हैं। ये एक प्रकार के मादक पदार्थ हैं जो घटिया सामग्री से तैयार किए जाते हैं। इनका सेवन करने से स्मरण शक्ति कमजोर होती है तथा गला एवं दिल के रोग जन्म लेते हैं। पिछले दिनों दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के आधार पर भारत के 8 प्रतिशत नवयुवक जिह्वा तथा गले के रोगी हैं जो इन्हीं पदार्थों की देन है। ऐसे पदार्थ खाने से, बुद्धि का ह्रास होता है तथा गले के अनेक आंतरिक रोग पैदा होते हैं। दूसरी ओर, इन पदार्थों का सेवन करने वाले सभ्य, सुसंस्कृत एवं बुद्धिजीवी व्यक्तियों के लिए घृणा पात्र भी बन जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शौचालय, रेलवे स्टेशनों, बाज़ारों, सड़कों आदि पर थूक-थूककर वहाँ के सौंदर्य को नष्ट करते हैं। जिससे देश के सौंदर्य-बोध को क्षति पहुँचती है। अत: मेरा तुमसे यह अनुरोध है कि इन पदार्थों का सेवन बंद कर दो नहीं तो भविष्य में ये तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे। 

तुम्हारा अभिन्न मित्र 

दिलीप 

पत्र पाने वाले का नाम और पता