नैतिक कहानी "दादू एकै आतमा साहिब है सब माहिं"
सिखों के सप्तम गुरु हररायजी के दर्शन के लिए अनेक लोग आते थे। एक बार एक तुर्की उनके पास आया और उसने उनसे प्रश्न किया, “मोअज्जिज! इस संसार में मुहम्मद साहब, हजरत पैगंबर हजरत मूसा जैसे अनेक पैगंबर हो गए हैं और उन्होंने खुदा से मिलने के अलग-अलग रास्ते बनाए हैं। हमें उनमें से किस पैगंबर का हुक्म मानना चाहिए, जिस हमें खुदा मिल सके?”
गुरुजी ने उत्तर दिया, “ईश्वर तो एक है, उसके रूप अवश्य अनेक हैं। वह सर्वव्यापी है, निराकार है, निरंजन है। धर्मगुरुओं ने उसके पास पहुँचने के अलग-अलग रास्ते क्यों न बताए हों, हमें तो अपने कर्मों की ओर ध्यान देना चाहिए। उसके पास पहुँचने के लिए किसी की मदद की जरूरत नहीं ।
वह कोई दुनियाँवी हुक्मराँ नहीं, जो किसी की सिफारिश सुनकर किसी की तरफदारी करे। वह दूर से दूर और पास से पास है और इनसान नेक काम करके ही उसे पा सकता है।"
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