मिट्टी के हैं अनेक रूप 
Mitti ke hai Anek Roop


संकेत बिंदु -आम धारणा -विभिन्न उपयोग -शिशु के लिए मिट्टी -सैनिक के लिए मिट्टी -आध्यात्मिक दृष्टिकोण 

हमारा शरीर मिट्टी से बना है और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाता है। मिट्टी के बारे मे आम धारणा यह है कि मिट्टी का कोई मूल्य नहीं है। प्रायः कहा जाता है कि तुमने इसे मिट्टी में मिला दिया अर्थात् बेकार कर दिया। वैसे मिट्टी के विविध उपयोग हैं। मिट्टी के अनेक रूप हैं। मिट्टी की हस्ती कभी नहीं मिटती। इसे चाहे कितना भी कूटो-पीटो, यह मिट्टी ही बनी रहती है मिट्टी के खिलौने बनते है, मिट्टी के खिलौने बनते है, घड़े- बरतन बनते हैं, मूर्तियाँ बनती हैं। मिट्टी की उर्वरा शक्ति ही हमें खाने के लिए अन्न प्रदान करती है। शिशु को मिट्टी बहुत प्रिय होती है। वह इससे खेलता है और कभी खा भी लेता है। सैनिक मातृभूमि की मिट्टी की धूल को अपने माथे से लगाकर रणभूमि में बलिदान दे देता है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी मिट्टी का बहुत महत्त्व है।